Wednesday, May 4, 2011

"व्हाय मार्स एँड वीनस कोलाइड"

जान ग्रे द्वारा लिखित पुस्तक "व्हाय मार्स एँड वीनस कोलाइड" काफ़ी वैज्ञानिक तथ्यों और तर्कों, वितर्कों के विश्लेषण के उपरान्त लिखी एक अच्छी किताब है जिसे आदमी और औरत अपने आपसी रिश्तों में सुधार करने के लिएइस्तेमाल कर सकते हैं।

जान ग्रे द्वारा ही लिखित पहली किताब "मेन आर फ़्राम मार्स एँड वोमेन आर फ़्राम वीनस" की श्रृंखला में ही दूसरी अच्छी पढने लायक किताब है। जान ग्रे के अनुसार औरत प्राकृतिक तौर पर ही कोमल हृदय वाली और संवेदन शील होती हैइसलिए वह उपग्रह वीनस से आई है और आदमी जो कि प्राकृतिक तौर पर ही शारीरिक और मानसिक तौर पर शक्तिशाली होते है तो वह उपग्रह मार्स से आएँ है ।लेखक के अनुसार दोनों में ही प्राकृतिक और वैज्ञानिक तौर पर काफ़ीविषमताएँ रहती है, इसलिए किन कारणों से वह आपस में टकराते हैं और किन-किन बातों को ध्यान में रखकर वे अपने सम्बन्धों में सुधार ला सकते है

जान ग्रे ने इस पुस्तक में सबसे पहले प्राक्कथन में अपनी पत्नी का धन्यवाद किया है और अपने माता पिता से लेकर कई अन्य लोगों को भी सहयोग देने के लिए धन्यवाद किया है

सबसे पहले जान ग्रे ने यह कहने का प्रयास किया है कि पिछले कुछ समय से ज़िंदगी काफ़ी मुश्किल हो गई है आदमी और औरत दोनों को ही घर के निर्वाह के लिए दिन भर घर से बाहर रहकर काम करना पड़ता है जिससे सम्बन्धों मेंकाफ़ी कडवाहट आती जा रही है कार्यक्षेत्र में सफलता के बावजूद घर के वातावरण में कहीं ना कहीं आदमी और औरत एकाकीपन से जूझ रहे हैं।बहुत ज़्यादा मानसिक परेशानियों कि वजह से आदमी और औरत की एक दूसरे के प्रतिउम्मीदों में भी अंतर गया है।

प्राकृतिक अंतर के कारण आदमी और औरत का परेशानी को झेलने और हल करने का नज़रिया और तरीक़ा भी अलग है।

जान ग्रे के अनुसार अगर हम इस स्वाभाविक अंतर को बख़ूबी समझ लें तो शायद एक दूसरे को बेहतर समझने में कामयाब हो सकते हैं। इसी तरह लेखक द्वारा अलग-अलग तरीक़े अलग-अलग हिस्सों में बाँटे गए हैं जिससे आपसीसम्बन्धों को और मधुर बनाया जा सके।

प्रथम अध्याय "व्हाय मार्स एँड वीनस कोलाइड "में बताया गया है कि किन कारणों की वजह से आदमी और औरत आपस में टकराते है और आपसी सम्बन्ध कड़वा बना लेते हैं जान ग्रे के अनुसार औरत चाहती है कि आदमी भी उसीतरह व्यवहार और प्रतिक्रिया करे जिस तरह वह ख़ुद करती है उसके विपरीत आदमी ये समझने में असमर्थ रहते हैं कि औरत वाक़ई चाहती क्या है औरत का नौकरी करना आजकल एक ज़रूरत बन गया है जिससे वह भी बराबर केअधिकार चाहती है दिनभर काम-काज में थककर औरत की आदमी से पहले की अपेक्षा उम्मीदें बढ गई हैं और आदमी अभी भी चाहता है कि औरत उसी तरह व्यवहार करे जैसे पहले के जमाने में उनकी माँ या दादी किया करती थी

दूसरे अध्याय "हार्ड वायर्ड टू बी डिफरंट" में लेखक ने आदमी और औरत के प्राकृतिक तौर पर भिन्नताओं को उजागर किया है ।आदमी और औरत की परेशानी के समय प्रतिक्रिया प्राकृतिक तौर पर काफ़ी भिन्न रहती है। आदमी कापरेशानी के बारे में बातचीत ना करने का मतलब यह नहीं होता कि उसे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता या फिर औरत का सारे दिन के बारे में बार-बार बताने का यह अर्थ नहीं होता कि वह बहुत ज़रूरतमंद है जान ग्रे के अनुसार इन बायोलोजिकलविषमताओं को समझ लेने से हमारी मुश्किलें काफ़ी आसान हो सकती हैं। लेखक के अनुसार आदमी और औरत के दिमाग़ भी अलग-अलग तरह से विकसित होते हैं क्यूँकि दोनों को अलग-अलग परिवेश में रहना सिखाया जाता है जैसेकि हमारे पूर्वजों में औरतों और आदमियों के कर्त्तव्य भिन्न-भिन्न होते थे प्राकृतिक तौर पर आदमी और औरत के दिमाग़ एक जैसे हालात में अलग-अलग तरीक़े से बर्ताव करते हैं औरत जबकि किसी परेशानी के बारे में बातचीतकरके अच्छा सकून महसूस करती है और आदमी का दिमाग़ इसके विपरीत प्रैक्टिकल तौर पर किसी समस्या को हल करने के बारे में सोचता है।

जान ग्रे के अनुसार अगर आदमी किसी परेशानी के बारे में बात नहीं करना चाहता तो इसका मतलब यह नहीं कि वह उसे सुलझाना नहीं चाहता इसलिए यदि आदमी और औरत इन क़ुदरती बातों को समझ ले तो अपने रिश्तों में सुधारला सकते है

तीसरे अध्याय "स्ट्रेस हारमोंस फ़्राम मार्स एँड वीनस" में जान ग्रे परेशानी के समय आदमी और औरत में जो हारमोन निकलते हैं उनकी भिन्नता के बारे में बात करते हैं।लेखक के अनुसार प्यार में होना ऐसे हारमोन उत्पन्न करता हैजिससे स्ट्रेस का लेवल कम हो जाता है जब प्यार पुराना हो जाता है और एक दिनचर्या बन जाता है तो अच्छा महसूस करवाने वाले हारमोन धीरे-धीरे कम हो जाते हैं

स्ट्रेस की हालात में दो तरह के हारमोन निकलते है एड्रीनल ग्लांड से एड्रीनीलिन और कॉर्टिसोल ज़्यादा देर टक परेशानी की हालात में रहने से हारमोन शरीर में कई तरह के बदलाव पैदा करते हैं और जो कि हमारे में मानसिक तौर परबदलाव को जन्म देता है वैज्ञानिकों ने कॉर्टिसोल का रिश्ता मोटापे से किया है इसलिए लेखक के अनुसार स्ट्रेस के कारण कई तरह के नकारात्मक परिणाम उभर कर सामने आते हैं

लेखक ने आदमी में एक ख़ास तरह के सैक्स हारमोन टेस्टोस्टेरोन का ज़िक्र किया है, जो कि आदमी को ऊर्जा प्रदान करता है किसी रिश्ते की शुरुआत में आदमी को यह हारमोन काफ़ी ऊर्जा प्रदान करता है जो कि उसे औरत का दिलजीतने का चैलेन्ज देता है। जब समय से दिनचर्या बन जाता है तो हारमोन का लेवल गिर जाता है और आदमी दूसरे नए चैलेन्ज की तलाश करना शुरू कर देता है

इसके विपरीत औरत जब अपने साथी को जानती है और उसके साथ सुरक्षित महसूस करती है तो ऑक्सीटोसिन नामक हारमोन का लेवल बढ जाता है और औरत काफ़ी ख़ुशी और ऊर्जा का आभास करती है जब औरत को लगता है किउसकी उम्मीदें पूरी नहीं होगी तो ऑक्सीटोसिन का लेवल गिर जाता है और वह स्ट्रेस महसूस करती है।

लेखक ने आदमी और औरत दोनों के लिए अपने सम्बन्धों संबंधों को मधुर बनाए रखने के लिए अलग-अलग तरीक़े बताए है जिससे आदमी में टेस्टोस्टेरोन हारमोन का लेवल बढ जाए और औरत में ऑक्सीटोसिन का लेवल बढ जाए। इनतरीक़ों को अपना कर दोनों परेशानी को नज़रअंदाज़ करके ख़ुश रह सकते है।

जान ग्रे के अनुसार स्ट्रेस के समय आदमी की अपेक्षा ज़्यादातर औरतें सैक्स में बिल्कुल भी रूचि नहीं लेती।

चौथे अध्याय " वूमैन्स नैवर एँडिंग टू दू लिस्ट" में लेखक के अनुसार औरत के दिमाग़ में काफ़ी लम्बी-लम्बी लिस्ट रहती है कुछ ना कुछ करने की और उसे हैरानी होती है कि आदमी इन हालात में कैसे आराम से बैठ सकता है। चीज़ों केबारे में ना सोचकर। जान ग्रे के अनुसार औरत की शारीरिक सरंचना भी इसी तरह होती है कि उसे कुछ ना कुछ करने के लिए लगातार ऊर्जा मिलती रहती है।

यदि औरत स्ट्रेस के दौर से गुज़र रही होती है तो उसकी वसा को जलाने की क्षमता कम हो जाती है और मोटापा जाता है आदमी को औरत के लिए उसकी मुश्किलें हल करने से पहले वह सब करना चाहिए जिससे उसकाऑक्सीटोसिन हारमोन का लेवल बढ जाए और वह ख़ुश रह सके। वह चाहता है कि औरत का हालात को देखने का नज़रिया उसकी तरह बदले कुछ सालों बाद बार-बार आदमी एक ही बात सुनकर उसकी किसी बात पर ध्यान नहीं देनाचाहता है ना ही उसकी कोई मदद करना चाहता है।

जान ग्रे के अनुसार औरत कई कारणों से बाते करती हैं जिसका मुश्किल हल करने में कोई लेना देना नहीं होता औरत के हाथ में है कि वह आदमी से किस प्रकार मदद लेने में कामयाब हो सकती है।और दोनों कुछ तरीक़े अपना करअपने सम्बन्धों को सुधार सकते है। जब आदमी को लगता है कि उसके कुछ करने से मुश्किल कुछ हल हुई है और उसको औरत को मदद करने में सफलता मिली है तो उसकी हिम्मत और भी बढ जाती है।

इसमें लेखक छोटे-छोटे बलिदान करके भी अपने साथी को ख़ास और पवित्र होने का एहसास करवा सकता है। उसके अनुसार छोटी-छोटी बातो को समझ कर और छोटे-छोटे बलिदान एक दूसरे के लिए करके हम अपने सम्बन्ध सुधारसकते है यदि हम एक दूसरे की प्राकृतिक विषमताओं को समझ ले

पाँचवे अध्याय " दी 90/ 10 सोलयुशन" में लेखक ने कहा है कि स्ट्रेस की हालत में औरत को आदमी सहारा सिर्फ़ 10 प्रतिशत तक ही दे सकता है बाक़ी 90 प्रतिशत उसे ख़ुद ही हालात से बाहर आने के लिए अपनी मदद करनी पड़ती है।ऐसा होने पर आख़िरी तौर पर आदमी उसे पूरी तरह ऊपर आने में सहायता प्रदान करने में अपनी इच्छा प्रकट करता है। जब आदमी को लगता है कि उसके द्वारा की गई छोटी-छोटी बातें औरत को ख़ुशी प्रदान करती है तो उसका हौंसलाबढ जाता है और वह और करने के लिए प्रेरित होता है।

जान ग्रे ने औरतों को ख़ुद का हारमोन का लेवल बढाने के लिए 100 तरीक़े बताएँ है जिससे वह ख़ुद को स्ट्रेस रहित रख सकती है लेखक कहता है कि वीनस को बार-बार दिया गया कोई भी छोटा सा उपहार भी क़ारगार सिद्ध होता हैज़्यादातर आदमी छोटी-छोटी बातों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं जिससे बात बिगड़ जाती है। ज़्यादा नंबर लेने के लिए जान ग्रे कहते हैं कि आदमी बजाय कि दर्जन भर गुलाब एक बार दे उसे एक-एक गुलाब दर्जन बार दिया जाए तो 24 अंकप्राप्त कर सकता है। आदमी द्वारा सिर्फ़ मदद करने का पूछना भर और थोड़ा प्यार दिखाना ही औरत के लिए लाभदायक सिद्ध होता है इसमें लेखक ने आदमी के लिए भी 100 तरीक़े बताएँ हैं, जिससे वह औरत को oxytocin का लेवलबढाने में मदद कर सकता है। औरत के साथ स्ट्रेस में बातचीत करने से भी उसकी परेशानी घट जाती है।

छटे अध्याय "मिस्टर फिक्स ईट एँड दी होम इम्प्रूवमेंट कमेटी" में जान ग्रे ने आदमी के लिए टेस्टोस्टेरोन को बढाने के तरीक़े बताएँ हैं। आदमी को औरत की अपेक्षा स्ट्रेस से निबटने के लिए तीस गुना ज़्यादा टेस्टोस्टेरोन हारमोन कीजरूरत पड़ती है। आदमी का हारमोन का लेवल बढाने के लिए उसे कुछ देर अकेला छोड़ देना चाहिये, जिसे केवटाइम कहते है और उस केवटाइम में आदमी अपने लिए हारमोन का लेवल बढाने में क़ामयाब रहता है। आदमी का घर के काममें मदद करने का तरीक़ा बिल्कुल भिन्न होता है। वह एक ही काम पर एक समय पर ध्यान दे सकता है।लेखक ने इसमें दी होम इम्प्रूवमेंट कमेटी के बारे में बताया है कि औरत, आदमी से किन आसान तरीक़ों से मदद लेने में क़ामयाब होसकती है।

सातवे अध्याय "दी अनाटोमी ऑफ़ फ़ाईट" में लेखक ने लड़ाई-झगड़े के कारणों का विश्लेषण करते हुए उसके उपाय बताएँ बताएँ हैं। औरतें किसी भी मुद्दे पर सवाल पूछने और बातचीत करने में विश्वास रखती है और आदमी उस परकुछ काम करने में विश्वास रखते हैं लेखक के अनुसार जब किसी विषय पर लड़ाई होती है तो आदमी और औरत के बीच लड़ाई का मुददा बदल जाता है और अपने साथी को ही प्रॉब्लम मान लेते हैं। इसलिए जो मुददा लड़ाई का हो उसीके बारे में ही बात होनी चाहिए ताकि उसका हल निकल सके। लड़ाई-झगडे में हम अपनी भावनाओं के बारे में बताते-बताते बहस को लड़ाई में बदल देते है और ख़ुद को सही साबित करने के चक्कर में अपने साथी की ज़रूरत को नज़रअंदाज़ कर देते हैं इसलिए लड़ाई को ना सिर्फ़ प्यार से बल्कि, नर्म रवैये से हल किया जा सकता है।

जान ग्रे ने आदमी और औरत कौन-कौन सी ग़ल्तियाँ करते हैं उसमे 14 ग़ल्तियों का ज़िक्र किया है। इन ग़ल्तियों को सुधार कर हम लड़ाई-झगडे को टाल सकते हैं। भावनाओं और मुश्किलों को हल करने को मिलकर हम हालात में सुधारनहीं ला सकते हैं

आठवें अध्याय "हाउ टू स्टाप फ़ाइटिंग एँड मेकअप" में जान ग्रे ने लड़ाई को किस तरह रोका जाए उसके तरीक़े बताएँ है। लेखक कहता है कि कई बार बातचीत द्वारा लड़ाई का हल मिल जाता है परन्तु कई बार बातचीत को दरक़िनारकरके हल ढूँढा जा सकता है। कई बार तनाव में सबसे बढ़िया उपाय होता है टाइम आउट। इसमें औरत अपने साथी के अलावा किसी भी और इंसान से बातचीत करे तो बेहतर होगा। आदमी के हारमोन इस तरह बने होते हैं कि वह या तोलड़ सकता है या फिर परिस्थिति से दूर रह सकता है यानी कि fight या फिर flight ज़्यादा बातचीत भी कई बार हालात को सुधारने की बजाय बिगाड़ देती है। टाइम आउट में ख़ुद का विश्लेषण करने में मदद मिलती है। और तनाव काहल निकल जाता है। जान ग्रे टाइम आउट में आदमी और औरत के लिए तरीक़े बताता है कि उन्हें किन-किन बातो पर गौर करना चाहिए ख़ुद के मन की बातें एक दूसरे से करनी चाहिए पर यह ज़रूरी नहीं जो भी वह सोचते हैं और महसूसकरते हैं सब बता दें। एक दूसरे से माफ़ी माँगना सीखना सबसे महत्वपूर्ण ज़रिया है सम्बन्धों को सुधारने का नौंवे अध्याय "टाकिंग अबाउट फ़ीलिंग्स इन फ़ाईट फ्री ज़ोन" में लेखक कहता है कि काम करते समय अपनी भावनाओं कोपीछे रख देना चाहिए और घर पर औरत को आगे ले आना चाहिए अपनी भावनाओं का ज़िक्र आदमी और औरत को ख़ुशनुमा माहौल में करना चाहिए। जब भावनाओं की बात हो तो मुश्किलें हल करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए जब औरत जितना उसे आदमी से मिले उससे ज़्यादा आदमी से उम्मीद करती है तो उसे उससे भी कम मिलता है। लेखक ने आदमी के लिए कुछ सुझाव दिए हैं वह औरत के साथ बातचीत करने और भावनाओं को ज़ाहिर करने में उपयोगमें ला सकता है। इसके विपरीत अपनी भावनाओं के बारे में बातचीत करना आदमी के लिए तनाव को दूर करने में मददग़ार सिद्ध नहीं होता

दसवें और अंतिम अध्याय "लूकिंग फार लव इन आल दी राईट प्लेसेस" में लेखक कहता है कि हमे अपने साथी से यह उम्मीद करना छोड़ देना चाहिए कि वह बिल्कुल परफ़ेक्ट हो जाए यह सबसे अदभुत और अनोखा है कि किसी को भीपूरी तरह वैसे ही प्यार करना जैसे वह है उसकी कमियों के साथ। अपनी इच्छा को ढाल लेने का मतलब यह नहीं लगाना चाहिए कि हमे कम में गुज़रा करना पड़ेगा। कभी भी हमें अपने साथी को ख़ुद की तरह बन जाने की इच्छा मत करे लेखक कहता है कि अपने टंक टैंक को 100 प्रतिशत भरने के लिए तीन जगह है जहाँ आप स्ट्रेस दूर करने वाले साधन ढूँढ सकते हैं

· पहला अपनी अंदरूनी ज़िंदगी के बारे में सोचना

· दूसरा एक सपोर्ट का नेटवर्क बनाना

· तीसरा अच्छी तरह जीना

आखिर में निष्कर्ष में लेखक ने ज़िंदगी भर प्यार रखने पर ज़ोर दिया है और उसके लिए कुछ तरीक़े बताए है जिससे उम्र भर प्यार बना रह सके। मेरे हिसाब से किताब काफ़ी बढ़िया लिखी गई है और काफ़ी अच्छी-अच्छी बातें बताई गई हैआपसी सम्बन्धों को सुधारने के लिए। परन्तु लेखक ख़ुद एक आदमी है इसलिए उसने ऐसा लगता है कि औरत को मुज़रिम की तरह एक कटघरे में खड़ा कर दिया है कि वह मानसिक तौर पर हर समय कमज़ोर रहती है और ज़्यादाभावनात्मक है और उसके विपरीत आदमी यदि निष्कर्ष निकाला जाए तो भावनात्मक बिल्कुल नहीं होते और काफ़ी प्रैक्टिकल होते हैं। लेखक के अनुसार सिर्फ़ औरत ही बात करना पसंद करती है और आदमी की बात करने में कभी भीरुचि नहीं होती ज़्यादातर जान ग्रे के अनुसार सिर्फ़ औरत को ही सहारे की ज़रूरत होती है और किस तरह से आदमी को औरत को सहारा देना चाहिए। उसके हिसाब से आदमी को औरत से भावनात्मक सहारे की कोई ज़रूरत नहीं होती जबकि हम हर जगह एक जैसे हालात और परिस्थितियों की कल्पना नहीं कर सकते कि सब आदमी एक जैसे होते हैं। लेखक ने आदमी के वजूद पर बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया है कि आदमी काफ़ी सख़्त मिज़ाज़ होते है औरअपनी भावनाओं को कभी बाँटना ही नहीं चाहते और सिर्फ़ औरत ही बातूनी होती है।

कृति- व्हाय मार्स एंड वीनस कोलाइड

लेखक- जान ग्रे

प्रकाशक- harper collins publishers, uk

मूल्य- 295

पृष्ठ- 250

समीक्षक : अलका सैनी

मकान . १६९,

ट्रिब्यून कालोनी,

जीरकपुर, चंडीगढ़

-मेल- alkams021@gmail.com

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